USCIRF रिपोर्ट पर विवाद: बाबरी मस्जिद के खंडहरों पर राम मंदिर लिखना भारत की न्यायिक प्रक्रिया का अपमान, संत समिति और वकील विष्णु शंकर जैन ने जताई आपत्ति
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संवाद 24 | वाराणसी
अमेरिकी संस्था यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) द्वारा जारी 2025 की वार्षिक रिपोर्ट को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। रिपोर्ट में राम मंदिर को बाबरी मस्जिद के खंडहरों पर बना हुआ बताया गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा RSS पर धार्मिक एजेंडा चलाने के आरोप लगाए गए हैं।
राम मंदिर मामले में पक्षकार रहे एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने इसे “नरेटिव युद्ध” बताया। वहीं अखिल भारतीय संत समिति ने रिपोर्ट को भारत की सांस्कृतिक विरासत और संवैधानिक ढांचे का घोर अपमान कहा।
संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण है और भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि मंदिर 500 वर्षों के संघर्ष और सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय के बाद बना है, किसी राजनीतिक निर्णय से नहीं।
USCIRF ने दावा किया है कि 1992 में हिंदू भीड़ ने 16वीं सदी की मस्जिद ढहाई, और 2024 में उसके अवशेषों पर मंदिर का उद्घाटन किया गया। भारत इस विवाद को न्यायिक व्यवस्था से समाप्त मानता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि RSS स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों से मुस्लिम शासकों का इतिहास हटाने, धार्मिक परिवर्तन रोकने और गोहत्या पर प्रतिबंध के एजेंडों को आगे बढ़ा रहा है। रिपोर्ट में 12 राज्यों में धर्मांतरण निरोधक कानून, चुनावों से पहले कथित नफरती भाषण और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने के आरोप लगाए गए।
संत समिति ने सवाल उठाया कि USCIRF ने कभी पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में हिंदुओं की घटती संख्या पर रिपोर्ट जारी क्यों नहीं की। Swami Jitendranand ने कहा कि फिजी में हिंदुओं पर हुए अत्याचार, अफगानिस्तान में लगभग सभी हिंदुओं के लुप्त हो जाने और बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 16% से 7.5% होने पर कोई प्रश्न नहीं उठाया गया।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कई मस्जिदें मंदिरों को ध्वस्त कर बनाई गईं, और आज भी इनके प्रमाण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ASI अधिकारियों को संभल में सर्वे नहीं करने दिया गया। विदेशी संस्थाओं द्वारा ऐसे बयान ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि जैसे मामलों पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से जारी किए जा रहे हैं।
संत समिति ने अमेरिकी एजेंसियों को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने की चेतावनी दी है। समिति ने 9-10 दिसंबर को राष्ट्रीय बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय करने की घोषणा की।






