देश की राजधानी में ‘टेरर नेटवर्क’ का नया ठिकाना? अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर जांच एजेंसियों की बड़ी नजर

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संवाद 24 नई दिल्ली। लाल किले ब्लास्ट केस की जांच कर रही राष्ट्रीय एजेंसियों की निगाह अब हरियाणा की प्रसिद्ध अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर टिक गई है। जांच टीमों को संदेह है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ डॉक्टर्स, रिसर्च स्कॉलर्स और कर्मचारियों का संबंध उन संदिग्धों से रहा है, जिन पर दिल्ली ब्लास्ट में शामिल होने का आरोप है। यही वजह है कि एजेंसियों ने हाल के दिनों में संस्थान के कई विभागों से विस्तृत दस्तावेज, वित्तीय रिकॉर्ड, एडमिशन डेटा और कर्मचारियों की सूची तलब की है।

जांच एजेंसियों के अनुसार, संदिग्ध आरोपियों की गतिविधियों और उनकी मुलाकातों का नेटवर्क अल-फलाह कैंपस के आसपास तक फैला हुआ बताया जा रहा है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों में से एक रेड-रिकॉर्डेड व्यक्ति, गिरफ्तार होने से पहले यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टर्स के संपर्क में था। इसी कारण ब्लास्ट केस की जांच में यूनिवर्सिटी प्रशासन, डॉक्टरों और संबंधित स्टाफ से पूछताछ का दायरा बढ़ा दिया गया है।

कैसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी आई जांच के दायरे में?
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा पकड़े गए आरोपियों के मोबाइल डेटा, कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल लोकेशन मैपिंग के दौरान कई लोकेशन अल-फलाह यूनिवर्सिटी के निकट पाई गईं। इसके बाद संदिग्धों से बरामद फोन से ऐसे कई चैट और संपर्क सामने आए, जिनमें यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ व्यक्तियों के नंबर शामिल बताए गए हैं।

जांच टीम के अनुसार, यही फोन रिकॉर्ड एजेंसियों को यूनिवर्सिटी तक ले गए। बाद में हिरासत में लिए गए एक आरोपी ने पूछताछ में यह दावा किया कि वह पिछले कई महीनों में हरियाणा के इस क्षेत्र में कई बार आया था, जहां उसकी मुलाकातें कुछ विशेष व्यक्तियों से होती थीं।

हालांकि एजेंसियों ने यह स्पष्ट किया है कि यूनिवर्सिटी या उसके प्रशासन पर फिलहाल प्रत्यक्ष रूप से किसी भी आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने का आरोप नहीं है, लेकिन संदिग्ध संपर्कों की वजह से संस्थान जांच के केंद्र में आया है।

कोर्ट ने कस दी जांच की लगाम, तीन दिनों की रिमांड बढ़ाई
लाल किला ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी की रिमांड अदालत ने 13 दिन के लिए बढ़ा दी है, ताकि एजेंसियां संदिग्ध नेटवर्क और कनेक्शन की गहराई से जांच कर सकें। कोर्ट ने माना कि अभी कई डिजिटल डिवाइसेज, फंडिंग स्रोतों और संपर्कों का पता लगाया जाना बाकी है, जिनका सीधा प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है।

जांच एजेंसियों के निशाने पर यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स और रिसर्च टीम
दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार, संदिग्ध आरोपी मेडिकल ट्रीटमेंट के बहाने या अन्य गतिविधियों के लिए कुछ डॉक्टरों से संपर्क में आता था। यही कारण है कि, कुछ डॉक्टर्स से प्रारंभिक पूछताछ हो चुकी है, कुछ से विस्तृत पूछताछ की तैयारी है, मेडिकल फाइलें, OPD रिकॉर्ड, प्रवेश समय और विजिटर्स लॉग की जांच की जा रही है। एजेंसियों को शक है कि मेडिकल कवर के नाम पर आरोपी कई दिनों तक एक ही जगह पर ठहर सकता था, जिससे उसके मूवमेंट का पता नहीं चल पाया।

कैंपस में हॉस्टल और गेस्ट हाउस भी जांच के दायरे में
टीमें हॉस्टल रजिस्टर, विजिटर्स लॉग, स्टाफ क्वार्टर आवागमन रजिस्टर और CCTV फुटेज की भी जांच कर रही हैं। फिलहाल जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार कुछ तारीखें और लोकेशन संदिग्ध के मोबाइल डेटा से मेल खाती हैं। यह भी सामने आया है कि यूनिवर्सिटी के पास स्थित कई जगहों पर संदिग्ध बार-बार रुकता और मिलता-जुलता रहा है, जिसकी पुष्टि डिजिटल ट्रैकिंग से हुई है।

7 साल में तेजी से बढ़ा यूनिवर्सिटी का दायरा, एजेंसियां क्यों कर रहीं हैं वित्तीय जांच?
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 से 2025 तक यूनिवर्सिटी के नाम पर लगभग 415 करोड़ रुपये का लेनदेन दर्ज हुआ है। 2024–25 में अकेले 10 करोड़ से अधिक के लेन-देन की खबर है। एजेंसियां यह पता लगाना चाहती हैं कि क्या इन लेन-देन में विदेशी फंडिंग शामिल है? क्या किसी संदिग्ध व्यक्ति या संस्था से आर्थिक कनेक्शन है? यूनिवर्सिटी के फंड का उपयोग किस-किस उद्देश्य के लिए हुआ? हालांकि यूनिवर्सिटी ने वित्तीय अनियमितताओं के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ओर से स्पष्टीकरण
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा है कि, संस्थान पूरी तरह से कानून का पालन करता है। जांच में हर संभव सहयोग किया जा रहा है।
एजेंसियों द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जा चुके हैं। किसी भी कर्मचारी या डॉक्टर पर आरोप साबित नहीं हुए हैं।
यूनिवर्सिटी ने मीडिया से बिना पुष्टि के सनसनी फैलाने वाली खबरों से बचने का अनुरोध किया है।

विदेशी लिंक की भी पड़ताल, पाकिस्तान कनेक्शन की जांच
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी एक बार पाकिस्तान गया था और उसके कुछ डिजिटल चैट वॉइस ओवर इंटरनेट कॉल्स का संबंध विदेशी नंबरों से पाया गया है। इसी के आधार पर एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि, क्या आरोपी किसी विदेशी संगठन से जुड़ा था? क्या कोई आर्थिक या तकनीकी सहायता बाहर से मिल रही थी? पाकिस्तान यात्रा का वास्तविक उद्देश्य क्या था? जांच एजेंसियों ने कहा है कि विदेशी लिंक की पुष्टि होने में अभी समय लगेगा।

लाल किला ब्लास्ट केस, अब तक की जांच का सार
दिल्ली ब्लास्ट के आरोपियों ने कई राज्यों में नेटवर्क फैलाया था
कुछ मोबाइल लोकेशन्स यूनिवर्सिटी कैंपस के आसपास मिलीं
संदिग्ध डॉक्टरों और स्टाफ से संपर्क के सबूत जुटाए जा रहे
कोर्ट ने आरोपी की रिमांड 13 दिन बढ़ाई डिजिटल फॉरेंसिक जांच अभी जारी, कई डिवाइसेज की रिपोर्ट लंबित।

आगे क्या? जांच एजेंसियों की अगली रणनीति
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में
कैंपस में दोबारा सर्च ऑपरेशन हो सकता है कई डॉक्टरों, कर्मचारियों और छात्रों से औपचारिक बयान लिया जा सकता है
कुछ डिजिटल उपकरणों और संदिग्ध चैट्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद पूछताछ का दायरा बढ़ेगा। संदिग्ध फंडिंग की जांच के लिए ED भी सक्रिय हो सकती है अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है और किसी भी नतीजे पर पहुंचने में समय लगेगा।

मीडिया में चर्चा क्यों?
क्योंकि यह मामला, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, दिल्ली ब्लास्ट जैसे बड़े केस से संबंधित है, एक शिक्षण संस्थान का नाम सामने आने से गंभीरता और बढ़ गई है। जांच एजेंसियां लगातार कैंपस से जुड़े तथ्यों की तहकीकात कर रही हैं

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर जांच एजेंसियों की हालिया गतिविधियां कई सवाल खड़े करती हैं, लेकिन अभी तक कोई भी ठोस आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। जांच एजेंसियां संदिग्ध नेटवर्क, फंडिंग, संपर्क और आवागमन की हर कड़ी को जोड़ने में जुटी हैं। आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है।

Samvad 24 Office
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