मोहन भागवत बोले, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की जरूरत नहीं, जो देश पर गर्व करता है वही हिंदू
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संवाद 24 | गुवाहाटी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत और हिंदू एक-दूसरे के पर्याय हैं और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “हिंदू शब्द धार्मिक नहीं, बल्कि हजारों वर्षों की सांस्कृतिक और सभ्यतागत पहचान है”।
भागवत मंगलवार को गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। हमारी सभ्यता स्वयं यह सिद्ध करती है, इसलिए औपचारिक घोषणा की जरूरत नहीं।
पूर्वोत्तर की प्रशंसा और सांस्कृतिक जुड़ाव पर जोर
भागवत तीन दिवसीय दौरे पर असम पहुंचे हैं और बुधवार को एक युवा सम्मेलन को संबोधित करेंगे। 20 नवंबर को वे मणिपुर के लिए रवाना होंगे।
उन्होंने कहा कि असम सहित पूर्वोत्तर भारत विविधता में एकता का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने लचित बोरफुकन और श्रीमंत शंकरदेव जैसे व्यक्तित्वों को सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रेरणास्रोत बताया।
डेमोग्राफिक बदलाव पर सतर्क रहने की बात
असम में जनसंख्या संरचना में बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) को लेकर भागवत ने कहा कि समाज को आत्मविश्वास, सतर्कता और अपनी भूमि एवं संस्कृति से गहरे जुड़ाव के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज का हर वर्ग निस्वार्थ भाव से योगदान दे।






