मां ने सूखी रोटियां खाकर गढ़ा बेटी का भविष्य, रेनुका बनी भारत की शान
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रोहड़ू (शिमला)।
कभी सूखी रोटियों से पेट भरकर, कभी आँसुओं को निगलकर भी एक मां ने अपनी बेटी का सपना टूटने नहीं दिया। हिमाचल के छोटे से गाँव परसा की सुनीता देवी ने हर कठिनाई के सामने हिम्मत नहीं हारी और बेटी रेनुका सिंह ठाकुर को भारतीय महिला क्रिकेट टीम तक पहुँचाया।
रेनुका की सफलता के पीछे उनकी मां का संघर्ष एक मिसाल बन गया है। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने बेटी की क्रिकेट प्रैक्टिस और पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। कभी दिनभर मजदूरी कर 50 रुपये कमाए, तो कभी अपने हिस्से की रोटियाँ छोड़ बेटी को खिलाया — बस एक ही सपना था, “मेरी बेटी कुछ बने।”
आज वही बेटी भारतीय टीम की स्टार बॉलर है और मां सुनीता का संघर्ष हर मां के दिल को छू लेने वाली प्रेरणा बन चुका है।


