संघ को व्यक्तियों के संगठन के रूप में मिली है मान्यता: मोहन भागवत
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बेंगलुरु। संवाद 24 ब्यूरो।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर बिना पंजीकरण काम करने को लेकर कांग्रेस नेताओं की आलोचना पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस कोई संस्थागत संगठन नहीं, बल्कि व्यक्तियों का संगठन है, जिसे संविधान और सरकार दोनों की ओर से मान्यता प्राप्त है। मोहन भागवत ने रविवार को बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि “संघ को अब तक तीन बार प्रतिबंधित किया गया, लेकिन हर बार सरकारों ने ही हमें मान्यता दी और प्रतिबंध हटाया। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारा कार्य संविधान और कानून के दायरे में है।”
कांग्रेस के आरोपों पर भागवत का जवाब
कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में आरोप लगाया था कि संघ बिना पंजीकरण के कार्य कर रहा है और उसके वित्तीय स्रोतों पर पारदर्शिता नहीं है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भागवत ने कहा कि “संघ किसी संस्था के रूप में नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के माध्यम से काम करता है। यह संगठन उन लोगों का समूह है जो समाजसेवा और राष्ट्रनिर्माण के कार्यों से जुड़े हैं।” उन्होंने कहा कि देश के कई अन्य सामाजिक संगठनों की तरह संघ भी समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सेवा कार्यों में सक्रिय है और किसी राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित नहीं है।
संघ की पहचान सेवा और संगठन से: भागवत
संघ प्रमुख ने कहा कि “हमारा उद्देश्य समाज को जोड़ना और हर वर्ग में जागरूकता लाना है। सरकार या राजनीति से हमारा कोई टकराव नहीं है। हम व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के सिद्धांत पर चलते हैं।”
कार्यक्रम में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ को कभी भी कानूनी बाध्यता के तहत संगठन के रूप में पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि संविधान के तहत व्यक्तिगत संगठनों को भी मान्यता प्राप्त है।
मुख्य बिंदु
- 🕉️ मोहन भागवत बोले — “संघ व्यक्तियों का संगठन है, संस्थान नहीं।”
- 🏛️ “तीन बार प्रतिबंध लगा, लेकिन हर बार सरकार ने दी मान्यता।”
- ⚙️ कांग्रेस के आरोपों पर कहा — “हम पारदर्शिता से काम करते हैं, कोई स्वार्थ नहीं।”
- 🌍 “संघ का कार्य समाज और राष्ट्र के हित में समर्पित।”






