2025 की सभी 24 एकादशियां एवं उनकी संक्षिप्त कथाएँ
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संवाद 24 (डेस्क)। एकादशी केवल उपवास का दिन नहीं बल्कि भक्ति, आत्मसंयम और आत्मशुद्धि का पर्व है। इन 24 कथाओं में जीवन के हर पहलू का संदेश छिपा है संयम में शक्ति है, श्रद्धा में मुक्ति है और सत्कर्म में सफलता।
🌿 1. पुत्रदा एकादशी (10 जनवरी 2025)
पद्म पुराण के अनुसार राजा सुकेतु को संतान न थी। उन्होंने इस व्रत का पालन किया और भगवान विष्णु की कृपा से पुत्र की प्राप्ति हुई। इसीलिए यह व्रत संतान-प्राप्ति और गृह-सुख के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
🌾 2. षट्तिला एकादशी (25 जनवरी 2025)
एक ब्राह्मणी ने दान तो बहुत किया पर तिल का उपयोग नहीं किया। भगवान विष्णु ने उसे आदेश दिया कि तिल के द्वारा स्नान, हवन और दान करे। इससे उसके पाप नष्ट हुए — इसीलिए इस तिथि पर तिल दान का विशेष महत्त्व है।
🌸 3. जया एकादशी (9 फरवरी 2025)
इंद्रलोक में मलिन और पुष्प नामक गंधर्व ने गलती से अपराध किया, जिससे वे राक्षस बने। उन्होंने जया एकादशी का व्रत किया और पुनः दिव्य स्वरूप पाया। यह व्रत यश, पुण्य और मुक्ति देता है।
⚔️ 4. विजया एकादशी (25 फरवरी 2025)
रामायण के अनुसार, श्रीराम ने लंका जाने से पूर्व इस व्रत का पालन किया था। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उन्हें विजय प्राप्त हुई। इसलिए इसे संकट-निवारक और विजयदायक माना गया है।
🍃 5. आमलकी एकादशी (11 मार्च 2025)
राजा चैत्य ने आंवला वृक्ष के नीचे उपवास कर विष्णुजी का पूजन किया, जिससे उन्हें दिव्य लोक मिला। यह व्रत शरीर-शुद्धि और पुण्य वृद्धि के लिए श्रेष्ठ है।
🔱 6. पापमोचनी एकादशी (25 मार्च 2025)
चित्ररथ नामक अप्सराओं के साथ आसक्त राजा का पतन हुआ। नारदजी ने उन्हें यह व्रत बताया, जिसके प्रभाव से वे पापमुक्त हुए। यह आत्मशुद्धि और मन-नियंत्रण का पर्व है।
💍 7. कामदा एकादशी (10 अप्रैल 2025)
गंधर्व ललिता के पति ललित ने यह व्रत किया ताकि शापित पत्नी पुनः जीवन पाए। व्रत के प्रभाव से ललिता का उद्धार हुआ। यह व्रत दांपत्य सुख और संतान कल्याण के लिए शुभ है।
🪔 8. वरूथिनी एकादशी (24 अप्रैल 2025)
राजा मंदाता ने पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत का पालन किया। उन्हें वैकुण्ठ की प्राप्ति हुई। यह व्रत पुण्य वृद्धि और वैराग्य साधना का प्रतीक है।
🌼 9. मोहिनी एकादशी (10 मई 2025)
भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों से अमृत छीन लिया। इसी तिथि पर यह घटना हुई थी। यह व्रत मोहमुक्ति और भक्ति जागरण के लिए श्रेष्ठ है।
🌕 10. अपरा एकादशी (24 मई 2025)
राजा महिध्वज ने इस व्रत का पालन कर अपने पापी भाई के प्रेत को मोक्ष दिलाया। इसलिए इसे पापहरणी एकादशी कहा जाता है। ये श्रद्धा और प्रायश्चित का प्रतीक।
💧 11. निर्जला एकादशी (9 जून 2025)
भीमसेन ने कठिन उपवास न रख पाने पर व्यासजी की आज्ञा से इस दिन बिना जल के व्रत किया। इससे उन्हें सभी एकादशियों का फल मिला। यह सबसे श्रेष्ठ व्रत माना गया है।
🌿 12. योगिनी एकादशी (23 जून 2025)
कुबेर के सेवक हेममाली ने लापरवाही की और शापित हुआ। नारदजी ने उसे यह व्रत बताया। व्रत के प्रभाव से वह पवित्र होकर स्वर्ग गया। यह कर्मशुद्धि और स्वास्थ्य हेतु श्रेष्ठ है।
🌙 13. देवशयनी एकादशी (8 जुलाई 2025)
इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में जाते हैं। चातुर्मास का आरंभ यहीं से होता है। व्रती इस अवधि में संयम, सेवा और साधना करते हैं।
🕉️ 14. कामिका एकादशी (22 जुलाई 2025)
एक ब्राह्मण ने अपने शत्रु की हत्या के पश्चात इस व्रत का पालन किया और पापमुक्त हुआ। इस दिन शिव और विष्णु दोनों की आराधना शुभ मानी जाती है।
🌺 15. पवित्रा एकादशी (6 अगस्त 2025)
पद्म पुराण में वर्णन है कि इस तिथि पर भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को रक्षा-सूत्र के अर्थ बताए। यह दिन शुद्धता, रक्षाबंधन और भक्ति के भाव को बढ़ाता है।
🌸 16. अजा एकादशी (20 अगस्त 2025)
राजा हरिश्चंद्र अपने सत्य व्रत से भी पापों में फँस गए थे। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें मोक्ष मिला। यह जन्म-पाप और संकट-निवारक व्रत है।
🌷 17. पद्मा (परिवर्तिनी) एकादशी (5 सितंबर 2025)
इस दिन विष्णुजी योगनिद्रा में करवट लेते हैं। भक्त चातुर्मास साधना में परिवर्तन करते हैं। यह धर्म-साधना और तप का पर्व है।
🔔 18. इंदिरा एकादशी (19 सितंबर 2025)
राजा इंद्रसेन ने अपने पितृ के उद्धार के लिए इस व्रत का पालन किया था। इससे पितृगण स्वर्ग प्राप्त हुए। यह व्रत श्राद्ध-पर्व के मध्य पितृ तर्पण हेतु श्रेष्ठ है।
🪔 19. पाशांकुशा एकादशी (4 अक्टूबर 2025)
देवर्षि नारद के उपदेश से राजा ने यह व्रत किया और स्वर्ग प्राप्त किया। यह धर्म, कीर्ति और आयु-वृद्धि देने वाला व्रत है।
💰 20. रमा एकादशी (18 अक्टूबर 2025)
यह व्रत लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने वाला है। जो व्यक्ति श्रद्धा से इसका पालन करता है, उसे धन, सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है।
🌞 21. देवउठनी (प्रबोधिनी) एकादशी (2 नवंबर 2025)
इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। विवाह और मंगल कार्य आरंभ किए जाते हैं। तुलसी विवाह का महोत्सव भी इसी तिथि पर मनाया जाता है।
🌾 22. उत्पन्ना एकादशी (16 नवंबर 2025)
यह व्रत एकादशी परंपरा की शुरुआत माना जाता है। देवर्षि नारद ने इसे भगवान विष्णु से प्राप्त कर संसार में प्रचार किया। यह नव-व्रती के लिए आरंभिक तिथि है।
🕊️ 23. मोक्षदा एकादशी (1 दिसंबर 2025)
कुरुक्षेत्र में इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यह व्रत मोक्ष और आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है।
🌠 24. सफला एकादशी (15 दिसंबर 2025)
एक दुराचारी राजा ने इस दिन अनजाने में व्रत रखा और उसका जीवन परिवर्तित हो गया। इससे उसने मोक्ष पाया। यह व्रत इच्छापूर्ति और सफलता प्रदान करने वाला माना गया है।




