बार एसोसिएशनों का बिजली बिल बकाया भरना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं: हाईकोर्ट
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सिविल बार एसोसिएशन बस्ती की याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बार एसोसिएशनों की भवन सुविधाओं व बिजली खर्च का वहन राज्य सरकार नहीं करेगी। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए उपलब्ध स्थान और संरचना न्यायपालिका का हिस्सा है, लेकिन इसके रखरखाव और उपयोग से जुड़े खर्च एसोसिएशन को स्वयं वहन करने होंगे।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी और न्यायमूर्ति मिलन कुमार ने सिविल बार एसोसिएशन, बस्ती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। याचिका में एसोसिएशन ने कहा था कि सदस्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले भवन का बिजली बकाया सरकार द्वारा चुकाया जाए।
कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन न्यायालय परिसर में कार्यरत एक स्वतंत्र निकाय है और इसे अपनी आवश्यकताओं एवं खर्चों का प्रबंधन स्वयं करना चाहिए। राज्य सरकार केवल न्यायिक ढांचे और न्यायिक कार्य से संबंधित भवनों के लिए जिम्मेदार होती है, न कि एसोसिएशन के संचालन व्यय के लिए।
सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब में कहा गया कि कोर्ट परिसर के बाहर बनी एसोसिएशन इमारतें बार की स्वामित्व श्रेणी में आती हैं और इनके विद्युत बिल के भुगतान का दायित्व संघ का ही होगा।
कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा 2011 में दिए गए समान निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अधिवक्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सामुदायिक संसाधनों का खर्च उनके सदस्यों को मिलकर उठाना होगा।
अंत में न्यायालय ने याचिका को निरस्त कर दिया।


