अदालतों में महिलाओं के लिए सुविधाओं का अभाव: चंद्रचूड ने सुधार का आग्रह किया
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देहरादून — न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के बावजूद अदालतों के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में उन आवश्यक बदलावों का अभाव है जो महिला वत्सरों और पेशेवरों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। यह बात न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम/विचार-विमर्श में कही।
मुख्य बातें
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है परंतु अदालतों का भौतिक एवं प्रशासनिक ढांचा अभी भी उनकी सुरक्षा, आराम और दक्षता के अनुरूप विकसित नहीं हुआ।
- उन्होंने साफ-सुथरे और सुरक्षित वेटिंग एरिया, अलग-अलग शौचालय, बच्चे के साथ आने वाली महिलाओं के लिए सुविधाएं तथा महिला स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- न्यायपालिका में लिंग-संवेदी सुविधाओं के अभाव से न केवल महिला वकीलों और पक्षकारों को असुविधा होती है, बल्कि न्याय की पहुंच एवं गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है—इसलिए त्वरित सुधार अनिवार्य है।
- चंद्रचूड ने न्यायपालिका तथा प्रशासन से आग्रह किया कि वे अनिवार्य मानदंड तय करें और अदालतों में महिला-अनुकूल इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्यान्वयन के लिए समन्वित योजना बनाकर लागू करें।
- उन्होंने न्यायशिक्षा व प्रशिक्षण में संवेदनशीलता, महिला कर्मचारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत करने की वकालत की ताकि न्यायालयीन माहौल समावेशी और सुरक्षित बन सके।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड का अनुमान है कि इन सुधारों से न सिर्फ न्यायपालिका की कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि महिलाओं का न्यायिक प्रक्रियाओं में भरोसा और भागीदारी भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने संबंधित संस्थाओं को निर्देश दिए कि वे आवश्यक संसाधनों और नीतियों के प्रावधान के लिए कदम उठाएँ और समयबद्ध रूप से सुधार लागू करें।




