अमेरिका का बड़ा वीज़ा फ़ैसला: ‘पब्लिक चार्ज’ के नियम से अब ‘नो एंट्री’
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संवाद 24 डेस्क। अमेरिका में वीज़ा नीति को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। ट्रंप प्रशासन ने ‘पब्लिक चार्ज’ (Public Charge) नियम के आधार पर स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर बीमारियों वाले लोगों को वीज़ा देने से इंकार करने के निर्देश जारी किए हैं। इसका सीधा असर उन आवेदकों पर पड़ेगा जो कैंसर, डायबिटीज़, मोटापा, हृदय रोग या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकार का तर्क है कि ऐसे लोग भविष्य में सरकार पर आर्थिक बोझ बन सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगातार चिकित्सा सहायता या सब्सिडी की आवश्यकता पड़ सकती है।
‘पब्लिक चार्ज’ की नई गाइडलाइन –
अमेरिकी विदेश विभाग ने दूतावासों और कांसुलेट्स को नए निर्देश जारी किए हैं। ‘पब्लिक चार्ज’ आव्रजन कानून में प्रयुक्त एक कानूनी शब्द है, जिसके तहत ऐसे लोगों को प्रवेश से रोका जाता है जिनके भविष्य में मुख्य रूप से सरकारी सहायता पर निर्भर रहने की आशंका हो। नई गाइडलाइन में अब इस नियम के दायरे को स्वास्थ्य तक बढ़ाया गया है। वीज़ा अधिकारी अब आवेदक और उनके आश्रितों के स्वास्थ्य प्रोफाइल की जांच करेंगे।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के इमिग्रेशन लॉ विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, नई नीति लागू होने के बाद आवेदकों को वीज़ा इंटरव्यू के दौरान अपने मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने होंगे। यदि किसी व्यक्ति के रिकॉर्ड में हृदय रोग, मोटापा या कैंसर जैसी बीमारी दर्ज पाई जाती है, तो उसका आवेदन “पब्लिक चार्ज रिस्क” के तहत अस्वीकार किया जा सकता है। इमिग्रेशन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे लाखों विदेशी छात्रों, कामकाजी पेशेवरों और परिवार वीज़ा पर आने वालों को परेशानी हो सकती है।
मूल उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि आवेदक के पास अपनी चिकित्सा स्थिति के लिए पूरे जीवनकाल तक का इलाज खर्च वहन करने की पर्याप्त क्षमता है।
वित्तीय आकलन: यदि अधिकारी को लगता है कि आवेदक की बीमारी महंगी है और वह भविष्य में अमेरिकी सरकार के मेडिकल खर्चों पर निर्भर हो सकता है, तो वीज़ा खारिज हो सकता है।
आश्रितों पर भी लागू: यह नियम न केवल वीज़ा आवेदक पर, बल्कि उसके आश्रित परिवार के सदस्यों (जैसे बच्चे या बुजुर्ग माता-पिता) की स्वास्थ्य स्थिति पर भी लागू होगा। यदि परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी के कारण आवेदक को नौकरी छोड़ने या आय बनाए रखने में असमर्थ होने की आशंका है, तो भी वीज़ा रिजेक्ट किया जा सकता है।
कौन-कौन सी बीमारियाँ हैं जाँच के दायरे में?
वीज़ा अधिकारियों को जिन बीमारियों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं, वे लंबी और महंगी देखभाल वाली क्रॉनिक बीमारियाँ हैं।
1. हार्ट डिजीज – गंभीर स्ट्रोक, अस्पताल में एडमिट होना, महंगी दवाइयाँ
2. डायबिटीज़ – इन्सुलिन, डायलिसिस, ऑर्गन फेल्योर
3. कैंसर – कीमोथेरेपी, रेडिएशन में लाखों डॉलर का खर्च
4. सांस की दिक्कत – अस्थमा, ऑक्सीजन का खर्च
5. न्यूरोलॉजिकल डिज़ीज पार्किन्सन, अल्जाइमर, लंबी देखभाल
6. मोटापा – हाई ब्लड प्रेशर, स्लीप एपनिया, अस्थमा का कारण बन सकता है, जिसका इलाज महंगा है।
7. विकलांगता – लम्बी अवधि की विशेष देखभाल, जिससे व्यक्ति नौकरी नहीं कर पाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोटापे को एक गंभीर जोखिम माना गया है, क्योंकि यह उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ और अस्थमा जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है, जिनका इलाज काफी महंगा होता है।
📊 संबंधित डेटा (अमेरिकी वीज़ा और स्वास्थ्य खर्च)
1. वार्षिक वीज़ा आवेदन – लाखों लोग प्रतिवर्ष अमेरिका के लिए वीज़ा आवेदन करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों की होती है।
2. सरकारी स्वास्थ्य खर्च – क्रॉनिक बीमारियों (जैसे डायबिटीज़, हृदय रोग) पर अमेरिका का वार्षिक स्वास्थ्य खर्च अरबों डॉलर में है। अमेरिका में औसतन प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च $13,493 (लगभग ₹11 लाख/वर्ष) है।
3. कैंसर के मरीज – 2024 में अमेरिका में करीब 20 लाख नए कैंसर केस दर्ज हुए।
4. मोटापा दर: अमेरिकी जनसंख्या का लगभग 42% हिस्सा मोटापे से ग्रस्त है।
5. प्रभावित वीज़ा श्रेणी – यह नियम मुख्य रूप से आप्रवासी वीज़ा (ग्रीन कार्ड) आवेदकों को प्रभावित करेगा, लेकिन कुछ स्थितियों में स्टूडेंट (F-1) और वर्कर (H-1B) वीज़ा आवेदकों पर भी लागू हो सकता है।
6. डायबिटीज़ का फैलाव – अमेरिका में लगभग 3.8 करोड़ लोग डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं। वहीं भारत में डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है (2023 अनुमान), जो अमेरिका जाने के इच्छुक लाखों भारतीयों के लिए चिंता का विषय है।
7. वीज़ा आवेदन – हर साल करीब 90 लाख विदेशी नागरिक विभिन्न श्रेणियों में अमेरिकी वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं।
🗣️ विशेषज्ञों की राय
इमिग्रेशन कानून के जानकारों ने इस कदम पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि वीज़ा प्रक्रिया और भी जटिल हो जाएगी। यह कदम उन लोगों के लिए अमेरिका में स्थायी रूप से बसना बेहद मुश्किल बना देगा जो पहले से ही क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, खासकर भारतीय जैसे विकासशील देशों के आवेदकों के लिए, जिनके पास पश्चिमी देशों जितना महंगा हेल्थ इंश्योरेंस या पर्याप्त वित्तीय बैकअप नहीं हो सकता है।
यह नई नीति उन अप्रवासियों और उनके परिवारों को निशाना बनाती है जो अमेरिका में अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए आए थे, लेकिन अब उन्हें अपनी स्वास्थ्य स्थितियों के कारण वीज़ा रिजेक्शन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि अमेरिका की यह नई वीज़ा नीति स्वास्थ्य और इमिग्रेशन के बीच एक नया संतुलन स्थापित करने का प्रयास है। लेकिन इससे विदेशी नागरिकों के लिए अमेरिका पहुंचना पहले से कहीं अधिक कठिन और जटिल हो सकता है।
“यह नियम उन लोगों को भी प्रभावित करेगा जो स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, पर उनके मेडिकल इतिहास में किसी पुरानी बीमारी का उल्लेख है,” – डॉ. स्टीफन हॉवर्ड, हेल्थ पॉलिसी एनालिस्ट



