योग: आधुनिक समय का प्राचीन समाधान, जानिए भारत की इस अनमोल धरोहर का रहस्य

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संवाद 24 (संजीव सोमवंशी)। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा में योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक संपूर्ण दर्शन प्रणाली है। यह शरीर, मन और आत्मा तीनों के संतुलन का विज्ञान है। योग का मूल उद्देश्य है “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।’ पातञ्जल योग दर्शन में पतंजलि जी बताते हैं कि चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। अर्थात चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग है। या हम कह सकते हैं कि मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है। या हम ये भी कह सकते हैं कि मन की वृत्तियों को नियंत्रित कर आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना ही योग है। 

आज जब संसार भौतिकता, तनाव, प्रदूषण, और असंतुलित जीवनशैली से जूझ रहा है, तब भारतीय योग दर्शन एक वैज्ञानिक, मानसिक और आध्यात्मिक औषधि बनकर मानवता के कल्याण का मार्ग दिखा रहा है।

योग का वैदिक और दार्शनिक आधार

योग की जड़ें भारतीय वैदिक संस्कृति में निहित हैं। वेदों में “युज्” धातु से बना ‘योग’ शब्द का अर्थ है “जुड़ना या मिलना”। अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलन। महर्षि पतंजलि ने इसे व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया और अपने ग्रंथ “योगसूत्र” में योग के आठ अंगों की व्याख्या की – 

अष्टांग योग के आठ चरण:
1. यम – सामाजिक अनुशासन (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह)
2. नियम – आत्मानुशासन (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान)
3. आसन – शरीर का संतुलन और स्थिरता
4. प्राणायाम – श्वास नियंत्रण द्वारा प्राण ऊर्जा का विकास
5. प्रत्याहार – इंद्रियों का नियंत्रण
6. धारणा – मन को एकाग्र करना
7. ध्यान – निरंतर एकाग्र साधना
8. समाधि – आत्मा का परमात्मा में लय

इन आठ अंगों के माध्यम से योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन और आत्मा को भी पूर्ण शांति प्रदान करता है।

योग के विविध प्रकार

भारतीय योग दर्शन केवल एक पद्धति तक सीमित नहीं है। विभिन्न मार्गों के माध्यम से योगी अपने लक्ष्य तक पहुँचता है —
1. राजयोग – मन पर नियंत्रण और ध्यान के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार।
2. कर्मयोग – निष्काम कर्म के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति।
3. ज्ञानयोग – आत्मा और ब्रह्म के स्वरूप का बौद्धिक ज्ञान।
4. भक्तियोग – प्रेम और श्रद्धा द्वारा ईश्वर से एकात्मता।
5. हठयोग – शारीरिक अनुशासन और आसनों द्वारा साधना।
6. लययोग और कुंडलिनी योग – प्राण ऊर्जा के जागरण का अभ्यास।
इन सबका उद्देश्य एक ही है, शरीर-मन-आत्मा का एकीकरण।

योग के प्रमुख लाभ (वैज्ञानिक दृष्टिकोण से)

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार किया है कि योग केवल आध्यात्मिक साधना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित स्वास्थ्य विधि है। इसके लाभ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीनों स्तरों पर मिलते हैं – 
शारीरिक लाभ:
1. रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
2. रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और हृदयरोग में नियंत्रण
3. शरीर की लचीलापन, ऊर्जा और संतुलन में सुधार
4. पाचन और श्वसन तंत्र की कार्यक्षमता में वृद्धि

मानसिक लाभ:
1. तनाव, चिंता और अवसाद में कमी
2. स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि
3. भावनात्मक संतुलन और आत्म-नियंत्रण

सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ:
1. सहनशीलता, विनम्रता और सेवा-भाव का विकास
2. आत्म-चेतना और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
3. समाज में समरसता और शांति का प्रसार

आधुनिक युग में योग की उपयोगिता

वर्तमान समय में योग की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। तेज रफ्तार जिंदगी, डिजिटल निर्भरता और मानसिक दबाव के कारण तनाव-संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। योग इन्हें रोकने का प्राकृतिक, सस्ता और स्थायी समाधान प्रदान करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी योग को “मानसिक स्वास्थ्य सुधारने वाली प्रभावी पद्धति” माना है।

वैश्विक स्तर पर योग का पुनर्जागरण

संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया, जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 2014 में पारित हुआ। तब से लेकर आज तक 180 से अधिक देशों में लाखों लोग इस दिन सामूहिक रूप से योगाभ्यास करते हैं। यह न केवल भारतीय संस्कृति की स्वीकार्यता का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक शांति और स्वास्थ्य की दिशा में एक सशक्त संदेश भी है।

योग के क्षेत्र में योगदान देने वाले प्राचीन ऋषि और महापुरुष – 

🕉️ 1. महर्षि पतंजलि
योगसूत्र के प्रवर्तक और अष्टांग योग के सूत्रधार। उन्होंने योग को व्यवस्थित वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया।
उनकी यह रचना आज भी योग के शास्त्रीय अध्ययन की मूल आधारशिला है।
🕉️ 2. भगवान कृष्ण
श्रीमद्भगवद्गीता में उन्होंने कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया। उनके अनुसार “योगः कर्मसु कौशलम्” अर्थात कर्म में कुशलता ही योग है।
🕉️ 3. स्वामी विवेकानंद
उन्होंने योग को आध्यात्मिक और सामाजिक उन्नति का माध्यम बताया। उनकी पुस्तक “राजयोग” ने पश्चिमी देशों में योग को लोकप्रिय बनाया।
🕉️ 4. श्री अरविंद
उन्होंने “इंटीग्रल योग” (पूर्ण योग) का सिद्धांत दिया, जिसमें जीवन के हर क्षेत्र में योग का प्रयोग बताया गया है।
🕉️ 5. स्वामी शिवानंद सरस्वती
रिषिकेश स्थित डिवाइन लाइफ सोसाइटी के संस्थापक, जिन्होंने योग और ध्यान को व्यावहारिक रूप में प्रचारित किया।
उनके शिष्य स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने बिहार स्कूल ऑफ योग की स्थापना की।

योग के क्षेत्र में आधुनिक योगदानकर्ता

🌸 1. परमहंस योगानंद
उनकी पुस्तक “ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी” ने अमेरिका और यूरोप में योग को विश्व मंच पर स्थापित किया। उन्होंने क्रिया योग को लोकप्रिय बनाया।
🌸 2. बी.के.एस. अयंगर
उन्होंने अयंगर योग की स्थापना की, जिसमें आसनों की शुद्धता और शरीर के संरेखण (alignment) पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उनकी पुस्तक “लाइट ऑन योग” विश्वभर में योग के अध्ययन की मानक पुस्तक मानी जाती है।
🌸 3. परमहंस निरंजनानंद और स्वामी सत्यानंद सरस्वती
बिहार योग विद्यालय के माध्यम से योग को शिक्षा, स्वास्थ्य और अध्यात्म का अंग बनाया।
🌸 4. श्री श्री रविशंकर
आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के माध्यम से योग और सुदर्शन क्रिया का प्रसार किया। उन्होंने योग को तनावमुक्त जीवन का आधुनिक साधन बताया।
🌸 5. बाबा रामदेव
उन्होंने योग को आमजन के बीच सरल, सुलभ और लोकप्रिय बनाया। पतंजलि योगपीठ के माध्यम से लाखों लोगों को स्वास्थ्य, रोजगार और संस्कृति से जोड़ा। उनके प्रयासों से भारत में योग एक जन आंदोलन बन गया।

📊 योग के क्षेत्र में आधुनिक अनुसंधान और आँकड़े – 

1. AIIMS, दिल्ली और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अध्ययनों के अनुसार, योग करने वाले लोगों में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर 35% तक कम पाया गया।
2. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिपोर्ट बताती है कि योगाभ्यास से नींद की गुणवत्ता में 66% तक सुधार होता है।
3. यूएस नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, 2025 तक अमेरिका में 60% लोग किसी न किसी रूप में योग या मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर चुके होंगे।
4. भारत में AYUSH मंत्रालय के अंतर्गत योग से संबंधित 300 से अधिक संस्थान अनुसंधान और प्रशिक्षण में कार्यरत हैं।

आधुनिक जीवनशैली में योग की भूमिका

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में योग केवल शरीर को फिट रखने का माध्यम नहीं, बल्कि एक जीवन-संतुलन सूत्र है। ऑफिस स्ट्रेस, डिजिटल थकान, नींद की समस्या, बर्नआउट सिंड्रोम जैसी आधुनिक बीमारियों में योग सर्वश्रेष्ठ उपाय है। स्कूलों और विश्वविद्यालयों में योग शिक्षा अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के अंतर्गत अनिवार्य की जा रही है। कॉर्पोरेट सेक्टर में ‘कॉर्पोरेट योगा प्रोग्राम’ तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

योग का भविष्य : विश्व शांति का सेतु

योग केवल स्वास्थ्य साधना नहीं, बल्कि मानवता की एकता और वैश्विक शांति का सेतु है। जब व्यक्ति स्वयं के भीतर संतुलन और शांति प्राप्त करता है, तो वही शांति समाज और विश्व में प्रसारित होती है। भारत ने योग के माध्यम से विश्व को यह सिखाया है कि “वसुधैव कुटुम्बकम्” केवल विचार नहीं, बल्कि योगिक जीवन का अनुभव है।
भारतीय योग दर्शन मानव जीवन की शरीर, मन और आत्मा की त्रिवेणी है। यह केवल रोगों से मुक्ति नहीं देता, बल्कि जीवन के उच्चतम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है। प्राचीन ऋषियों से लेकर आधुनिक योगगुरुओं तक, सबका उद्देश्य एक ही रहा “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।” आज आवश्यकता है कि योग को केवल एक अभ्यास न मानकर, जीवन की शैली (Way of Life) बनाया जाए। यही भारतीय संस्कृति का सार और मानवता के भविष्य का मार्ग है।

Samvad 24 Office
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