राजेश खन्ना, किशोर कुमार और आनंद बक्शी की त्रिमूर्ति ने रचा वो जादू जो आज भी मस्त कर देता है शाम को
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संवाद 24 (डेस्क)। भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ गीत ऐसे हैं जो समय की सीमाओं को लांघ जाते हैं। वे सिर्फ सुर और शब्दों का मेल नहीं होते, बल्कि भावनाओं, प्रेम और सौंदर्य की जीवंत अभिव्यक्ति बन जाते हैं। ऐसा ही एक गीत है “यह शाम मस्तानी मदहोश किए जाए”, जो आज भी सुनते ही दिल की धड़कनों को तेज कर देता है।
यह अमर गीत 1971 में रिलीज़ हुई फिल्म “कटी पतंग” का है, जिसका निर्देशन किया था मशहूर फिल्मकार शक्ति सामंत ने। फिल्म में मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं राजेश खन्ना और आशा पारेख ने। यह वह दौर था जब राजेश खन्ना भारतीय सिनेमा के पहले “सुपरस्टार” के रूप में जाने जाते थे, और उनके हर गाने पर देशभर की युवतियाँ दीवानी थीं।
गीत “यह शाम मस्तानी” फिल्म में उस दृश्य पर आता है जब राजेश खन्ना, गायक-किरदार के रूप में, प्रेम और रोमांस की भावना को अपनी आवाज़ और अंदाज़ से व्यक्त करते हैं। पर्दे पर उनका मुस्कुराता चेहरा, लहराते बाल और सहज आत्मविश्वास दर्शकों के दिलों को जीत लेता है।
इस गीत को अपनी मधुर आवाज़ दी थी किशोर कुमार ने जो अपने आप में एक संस्था थे। किशोर कुमार की आवाज़ में जो रूमानी अंदाज़, खुशमिज़ाजी और मादकता थी, वह इस गीत में पूरी तरह झलकती है। उनकी गायकी में जैसे कोई सहजता से बहता हुआ प्रेम का झरना है न ज़्यादा भारी, न बनावटी बस दिल से निकली एक सच्ची धुन।
इस गीत के संगीतकार हैं आर. डी. बर्मन (पंचम दा), जिन्होंने इस गाने को एक क्लासिकल मेलोडी और वेस्टर्न इंस्ट्रुमेंट्स के अद्भुत मिश्रण से सजाया। बाँसुरी, गिटार और स्ट्रिंग्स का संतुलित प्रयोग इस गाने को सुनते ही एक शाम की सुगंध, हवाओं की मिठास और प्रेम की हलचल का अनुभव कराता है।
गीत के बोल लिखे थे आनंद बक्शी ने जिन्होंने शब्दों में प्रेम की नाजुकता और युवाओं की उमंग को बखूबी पिरोया। “यह शाम मस्तानी मदहोश किए जाए, मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए” इन पंक्तियों में वह आकर्षण, वह खिंचाव है जो प्रेम की शुरुआत में हर दिल महसूस करता है।
फिल्म में यह गीत राजेश खन्ना पर फिल्माया गया है, जो अपनी मनमोहक मुस्कान, आत्मविश्वासी आंखों और सहज अभिनय से इस गाने को जीवन दे देते हैं। उनके सामने आशा पारेख का संयमित और शालीन चेहरा, इस पूरे दृश्य को और भी रोमांटिक बना देता है।
इस गाने का फिल्मांकन नैनीताल की झील के किनारे हुआ था, जहाँ शाम की सुनहरी रोशनी, पानी पर झिलमिलाती परछाइयाँ और राजेश खन्ना का स्टाइलिश अंदाज़ यह सब मिलकर गीत को एक दृश्यात्मक कविता बना देता है।
हालाँकि यह गीत पाँच दशक पुराना है, परंतु आज भी जब यह रेडियो या किसी रील पर बजता है, तो युवा दिलों में वही उत्साह और रोमांच जाग उठता है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे Instagram और YouTube Shorts पर यह गाना बार-बार रीमिक्स या रीक्रिएट किया जा रहा है। युवा इसे अपनी लव स्टोरीज़, ट्रैवल वीडियो और रोमांटिक रील्स में बैकग्राउंड म्यूज़िक के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
आज के डिजिटल युग में जहाँ संगीत के ट्रेंड हर हफ्ते बदलते हैं, “यह शाम मस्तानी” जैसी धुनें यह साबित करती हैं कि क्लासिक कभी पुराने नहीं होते। इस गीत की सरल धुन, दिल को छू लेने वाले बोल, और भावनाओं की सच्चाई यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
आज भी युवा दिलों की धड़कनों को छू जाता है यह गीत तो उसके पीछे है इसके संगीत की सहजता: इसमें कोई जटिलता नहीं, बस प्रेम की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। किशोर कुमार की जादुई आवाज़: उनकी गायकी में प्रेम की मिठास और चुलबुलापन दोनों झलकते हैं। और राजेश खन्ना की प्रस्तुति: उनका अंदाज़ “ड्रीम बॉय” जैसा है जिसमें मुस्कान भी है और रहस्य भी। और सबसे प्रमुख समय से परे भावनाएँ: प्रेम, आकर्षण, और सुंदरता ये भाव कभी पुराने नहीं होते।
इसलिए हम कह सकते हैं कि “यह शाम मस्तानी” सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक अहसास है वो पल जब दिल किसी अनदेखी डोर से खिंच जाता है। यह हमें उस दौर की याद दिलाता है जब प्यार का इज़हार चिट्ठियों और नज़रों से होता था, जब संगीत दिल से निकला करता था, और जब हर शाम सचमुच मस्तानी हुआ करती थी।
आज भी जब यह गीत सुनाई देता है, तो लगता है जैसे समय ठहर गया हो और हम सब उस सुनहरी शाम के रोमांस में खो गए हों, जहाँ सिर्फ संगीत है, मोहब्बत है, और वो अनकहा एहसास है “ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाये, मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिये जाये…”
गीत का यूट्यूब लिंक –

