DPDP एक्ट लागू: कंपनियों को अब बताए बिना डेटा नहीं ले सकेंगी, बच्चों के अकाउंट के लिए पैरेंट्स की सहमति जरूरी

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भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट 2023 अब नियमों के साथ पूरी तरह लागू हो गया है। सरकार ने 14 नवंबर को सभी नियम नोटिफाई कर दिए। इन नियमों का उद्देश्य आम लोगों की प्राइवेसी को सुरक्षा देना है और साथ ही डिजिटल इनोवेशन व अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। DPDP एक्ट अगस्त 2023 में संसद से पास हुआ था। यह उन कंपनियों की जिम्मेदारियां तय करता है जो डिजिटल पर्सनल डेटा का इस्तेमाल करती हैं, साथ ही लोगों को अपने डेटा पर अधिकार देता है।

किसी भी बच्चे के डेटा का उपयोग करने के लिए अब उसके माता-पिता की सहमति अनिवार्य है। हेल्थ, शिक्षा और रीयल-टाइम सुरक्षा जैसे मामलों में कुछ छूट मिलेगी। दिव्यांगों के लिए उनके कानूनी गार्जियन की स्वीकृति जरूरी होगी।

DPDP एक्ट के तहत अगर किसी कंपनी में डेटा ब्रेक होता है, तो उसे तुरंत आसान भाषा में प्रभावित लोगों को जानकारी देनी होगी। लोग अपना डेटा देख, सुधार, अपडेट या हटवा सकेंगे। नॉमिनी भी इन अधिकारों का उपयोग कर पाएंगे। डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड पूरी तरह डिजिटल होगा और शिकायतें ऐप या ऑनलाइन पोर्टल से दर्ज कर सकेंगे।

अब 8 बड़े सवालों के सरल जवाब

सवाल 1: क्या पहले ऐसी कोई सुविधा थी? क्या फर्क है?
पहले भारत में माता-पिता की वेरिफायबल सहमति का सख्त नियम नहीं था। IT एक्ट 2000 और IT रूल्स 2021 चाइल्ड सेफ्टी और कंटेंट मॉडरेशन तक सीमित थे। उम्र बताना जरूरी था, लेकिन वेरिफिकेशन अनिवार्य नहीं था।

सवाल 2: अब क्या बदला है?
18 साल से कम उम्र के बच्चों का कोई भी डेटा प्रोसेस करने से पहले पैरेंट्स की डिजिटल सहमति अनिवार्य है। ट्रैकिंग, बिहेवियर मॉनिटरिंग और टारगेटेड ऐड पर रोक होगी। वेरिफिकेशन AI एज चेक या ID टोकन से होगा।

सवाल 3: पैरेंट्स को क्या करना होगा?
अगर बच्चा फेसबुक/इंस्टाग्राम जैसी साइट पर अकाउंट बनाना चाहता है, तो:
– बच्चा अपनी उम्र बताएगा
– पैरेंट को लॉगिन कर ईमेल/फोन वेरिफाई या ID अपलोड करके सहमति देनी होगी
– कंसेंट कभी भी वापस लिया जा सकेगा और डेटा डिलीट कराया जा सकेगा

सवाल 4: नए बदलाव से क्या फायदा होगा?
बच्चों की प्राइवेसी मजबूत होगी, साइबरबुलिंग और डेटा चोरी से सुरक्षा मिलेगी। पैरेंट्स को बच्चे के डेटा पर पूरा नियंत्रण मिलेगा। कंपनियां अधिक जिम्मेदार होंगी।

सवाल 5: अगर बच्चा अपनी उम्र झूठी बताए तो?
कंपनी को AI या अन्य माध्यम से संदेह होने पर अतिरिक्त वेरिफिकेशन मांगना होगा। गलत उम्र का पता चलने पर डेटा हटाना पड़ेगा और कंपनी पर जुर्माना लग सकता है।

सवाल 6: अगर मोबाइल फॉर्मेट हो जाए तो क्या होगा?
मोबाइल फॉर्मेट होने पर पुराना कंसेंट इनवैलिड हो सकता है, लेकिन रिकॉर्ड कंपनी के पास रहेगा। बच्चा दोबारा लॉगिन करेगा तो नया कंसेंट देना होगा।

सवाल 7: क्या नया नियम पूरी तरह प्रभावी होगा?
पूरी तरह नहीं। फेक एज की समस्या रहेगी और ग्रामीण इलाकों में वेरिफिकेशन चुनौतीपूर्ण होगा।

सवाल 8: नियम तोड़ने पर क्या सजा है?
कंपनी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। बोर्ड जांच करेगा। शिकायतें ऑनलाइन होंगी।

लोगों को मिले हैं ये मुख्य अधिकार

कंपनियां अब डेटा लेने से पहले बताना होगा कि क्यों ले रही हैं और उसका क्या उपयोग होगा।
किसी भी अनचाहे डेटा उपयोग पर शिकायत की जा सकेगी।
डेटा लीक होने पर कंपनी को तुरंत सूचना देनी होगी।
यूजर अपने डेटा को एक्सेस, अपडेट और डिलीट कर सकेंगे।
शिकायत करने और ट्रैक करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध रहेगा।

Samvad 24 Office
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